‘भारत-रत्न’ देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जो वर्ष 1954 में प्रारंभ किया गया
था।
भारत-रत्न सम्मान के लिए सभी व्यक्ति जाति, व्यवसाय, पद और लिंग के भेदभाव के बिना पात्र हैं।
इस पुरस्कार से अंलकरण मानव प्रयत्न के किसी भी क्षेत्र में की गई सर्वोत्कृष्ट स्तर के निष्पादन के सम्मान के फलस्वरूप दिया जाता है।
भारत रत्न के लिए सिफारिश स्वयं प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति को की जाती है। इसके लिए कोई औपचारिक सिफारिश आवश्यक नहीं है।
वार्षिक पुरस्कारों की संख्या एक वर्ष विशेष में अधिकतम तीन तक सीमित है। इस पुरस्कार के प्रदान किए जाने के समय प्राप्तकर्ता को राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित एक सनद (प्रमाणपत्र) और एक तग्मा दिया जाता है।
इस पुरस्कार में कोई मौद्रिक अनुदान नहीं दिया जाता।
संविधान के अनुच्छेद 18(1) के अनुसार इस पुरस्कार को प्राप्तकर्ता के नाम के आगे या पीछे उल्लिखित नहीं किया जा सकता। तथापि, यदि कोई पुरस्कार प्राप्तकर्ता आवश्यक समझता है तो वह अपने जीवनवृत/पत्र शीर्ष/विजिटिंग कार्ड इत्यादि में यह दर्शाने के लिए कि वह इस पुरस्कार का प्राप्तकर्ता है, निम्नलिखित अभिव्यक्ति का प्रयोग कर सकता
.
‘राष्ट्रपति द्वारा भारत-रत्न से सम्मानित’
या’
‘भारत-रत्न प्राप्तकर्ता